000 | 00869nam a2200205Ia 4500 | ||
---|---|---|---|
003 | OSt | ||
005 | 20220428150616.0 | ||
008 | 220128s9999 xx 000 0 und d | ||
020 | _a9788190576727 | ||
040 | _cCUS | ||
082 |
_a891.43109 _bMAL/K |
||
100 |
_aमलय _91502 |
||
245 | 0 | _aकवि से साक्षात्कार | |
260 |
_aदिल्ली: _c2018. _bशिल्पायन, |
||
300 | _a158p. | ||
505 | _a1. कविता पाने को सबकुछ दे डाला 2. हमारा यह समय और कविता 3. नये रूपाकार रचना के स्तर पर जन्म लेते हैं 4. कविता निम्न वर्ग के साथ खड़ी हैं | ||
650 |
_aकविताऍ _91261 |
||
942 |
_2ddc _cWB16 |
||
947 | _a400 | ||
999 |
_c210108 _d210108 |