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020 | _a9788171381746 | ||
040 | _cसी यू एस | ||
082 |
_a891.4309 _bPAL/S |
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100 |
_aकृष्णदत्त पालीवाल _91417 |
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245 |
_aसृजन का अंतर्पाठ: उत्तर आधुनिक विमर्श/ _cकृष्णदत्त पालीवाल |
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260 |
_aनई दिल्ली: _bसामयिक प्रकाशन, _c2013. |
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300 | _a431 पी | ||
505 | _aअस मानस मानस चख चाही भवभूति की आधुनिकता समीक्षा सांस्कृतिक संवेदना का विस्तार सामाजिक-सांस्कृतिक नवजागरन और नंददुलारे वाजपेयी भारतीय संस्कृति और मूल्यबोध | ||
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_a उत्तर आधुनिक विमर्श _916073 |
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942 | _cWB16 | ||
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