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020 | _a9788126704255 | ||
040 | _cसी यू एस | ||
082 |
_a891.431 _bMUK/P |
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_aमुक्तिबोध, गजानन मा. _913183 |
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245 |
_aप्रतिनिधि कविताएँ/ _cगजानन मा. मुक्तिबोध |
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260 |
_aनई दिल्ली: _bराजकमल प्रकाशन, _c2019. |
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300 | _a185 पी | ||
505 | _aपूंजीवादी समाज के प्रति मैं उनका ही होता रात चलते हैं अकेले ही सितारे बहुत दिनों से | ||
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_aहिन्दी कविताऍ _91249 |
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