नागार्जुन रचनावली/ संपादित शोभाकान्त - नई दिल्ली: राजकमल प्रकाशन, 2011. - 7 v.(xiv, 539 पी)

यह खंड
बेकार
जया
तू गुमराह
बादल को घिरते देखा हैं

9788126721511


नागार्जु रचनावाली

891.4308 / SHO/N